एक बार की बात है एक मछुआरा था। वह रोज़ तालाब में जाकर मछली पकड़ता था। जिसे बेचकर वह अपना गुजारा करता था। कभी उसके जाल में बहुत सारी मछली आती थी और कभी कम।
एक दिन वह तालाब पर मछली पकड़ने के लिए गया। वह अपना जाल लगाकर कुछ देर बैठ गया। कुछ देर के बाद जब उसने अपना जाल निकाला तो उसके जाल में बहुत सारी मछली थी। वह बहुत खुश हुआ।
उसने वह सारी मछली बाज़ार ले जाकर बेच दी। जिससे उसको अच्छे पैसे मिले। अगले दिन वह उसकी उम्मीद से तालाब गया। उसने अपना जाल तालाब में डाला और कुछ देर इंतज़ार किया। कुछ देर के बाद उसके जाल में कुछ सरसराहट सी होने लगी।
जब उसने अपना जाल खींचा तो उसमे एक छोटी सी मछली थी। जब वह उस मछली को निकालने लगा तो वह मछली मछुआरे से बोली तुम मुझे छोड़ दो नहीं तो पानी के बिना मै मर जाउंगी।
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उसकी इस बात को मछुआरे ने अनसुना कर दिया। मछली मछुआरे से बोली अगर तुम मुझको छोड़ दोगे तो मै अपने सभी साथी मछलियों को कल तुम्हारे लिए बुलाकर लाऊंगी। जिससे तुम बहुत सारी मछली पकड़ सकते हो।
मछुआरे को मछली की बात फ़ायदेमन्द लगी। उसने सोचा अगर मुझे एक छोटी सी मछली के बदले बहुत सारी मछली मिलती है तो यह अच्छा है। यह सोचकर उसने उस छोटी मछली को छोड़ दिया।

मछली मछुआरे के जाल से छूट कर बहुत खुश हुई और बहुत दूर चली गयी। अगले दिन मछुआरा बहुत सारी मछली मिलने की उम्मीद से आया। लेकिन उस दिन भी उसको कोई मछली नहीं मिली। इस तरह मछली ने चालाकी से अपनी जान बचा ली।
Moral of the story
सीख : इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की हमें मुसीबत में घबराना नहीं चाहिए बल्कि होशियारी से काम करना चाहिए।
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