एक किसान के पास भेड़ों का एक झुंड था। किसान अपनी भेड़ों को एक भेड़िए से बचाने का बड़ा प्रयास करता, लेकिन असफल रहता। भेड़िया सिर्फ एक भेड़ को छोड़कर अब तक उसकी सारी भेड़ों को खा चुका था।
एक दिन किसान अपनी पत्नी से बोला, “मैं इस आखिरी भेड़ को बेच दूंगा।” भेड़ किसान की यह बात सुनकर सोचने लगी, इस कसाई के हाथों मारे जाने से बेहतर है कि मैं आजाद रहूँ।’
इसलिए भेड़ चौकीदार कुत्ते को साथ लेकर रात को वहाँ से चली गई। तभी भेड़िए की निगाह उन पर पड़ी। वह भेड़ को अपना भोजन बनाना चाहता था, परन्तु कुत्ते की उपस्थिति में यह संभव नहीं था।

इसलिए वह भेड़ से बोला, “हे भेड़! यहाँ आओ मैं तुम्हारा दोस्त बनना चाहता हूँ।” कुत्ता भेड़िए की मंशा भाँप गया। कुत्ते ने पास के ही पेड़ के नीचे एक शिकंजा लगा देखा।
अत: वह बोला, “यदि तुम उस पवित्र पेड़ को छू लोगे तो हम तुम पर विश्वास कर लेंगे।” भेड़िया जैसे ही पेड़ को छूने गया, वह शिकंजे में फँस गया। अब किसान की भी समस्या हल हो गई। वह खुशी-खुशी भेड़ और कुत्ते को वापस ले आया।
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